4. बाघ-पक्ष में साध्य का अभाव जैसे-शब्द रूप पक्ष में नित्यत्व रूप साध्य का अभाव।
2.
4. बाघ-पक्ष में साध्य का अभाव जैसे-शब्द रूप पक्ष में नित्यत्व रूप साध्य का अभाव।
3.
इसी क्रम में डा॰अनूप सिंह ने लघुकथा के विषय एवं रूप पक्ष पर अपनी सधी हुई भाषा में विचार व्यक्त किए ।
4.
इसी क्रम में डा॰अनूप सिंह ने लघुकथा के विषय एवं रूप पक्ष पर अपनी सधी हुई भाषा में विचार व्यक्त किए ।
5.
लेकिन इस ग्रन्थ की विशेषता इस बात में है कि इन्होंने भाषा और संस्कृति के संबन्ध पर बल दिया तथा भाषा के रूप पक्ष (
6.
हाँ, मुझे बेहद खुशी हुई कि कविता के समकालीन शिल्प सौष्ठव और रूप पक्ष पर चर्चा की कमी मेरी तरह आप को भी खली.
7.
लेकिन इस ग्रंथ की विशेषता इस बात में है कि इन्होंने भाषा और संस्कृति के संबंध पर बल दिया तथा भाषा के रूप पक्ष (form) के वर्णन में सौंदर्य और सुघड़ता का समावेश किया।
8.
जहाँ किसी एक पक्ष का निर्णय नहीं होकर संशय के विषय रूप पक्ष और प्रतिपक्ष के विषय में जिज्ञासा होती है अर्थात् प्रकरण के विषय में चिन्ता होत है, वहाँ निर्णय के लिए कहा गया हेतु प्रकरणसम [76] सत्प्रतिपक्ष) नामक हेत्वाभास होता है।
9.
साहित्य चिंता से प्रेरित धारा रूप पक्ष को महत्व देती है और उसकी प्रेरणा पूरी तरह रचना में निहित रहती है, जबकि जीवन चिंता से अभिप्रेत धारा वस्तु और रूप दोनों को लेते हुए वस्तु पक्ष को अधिक महत्व देती है और जीवन-प्रश्नों की उपेक्षा नहीं करती है।
10.
साहित्य चिंता से प्रेरित धारा रूप पक्ष को महत्व देती है और उसकी प्रेरणा पूरी तरह रचना में निहित रहती है, जबकि जीवन चिंता से अभिप्रेत धारा वस्तु और रूप दोनों को लेते हुए वस्तु पक्ष को अधिक महत्व देती है और जीवन-प्रश्नों की उपेक्षा नहीं करती है।